#दुष्यंत जब 2014 मैं सांसद बना तो अपने दम पर युवाओं में लोकप्रियता हासिल करने में कामयाब हुए। जहाँ उन्होंने युवाओं के लिए 75% लोकल रोजगार का मुद्दा उठाया तो साथ ही किसान के ट्रैक्टर के टोल टैक्स फ्री करवाया । जहाँ 2018 में दुष्यंत ने जेजेपी का गठन किया तो दुष्यंत की लोकप्रियता दीपेन्द्र के मुकाबले बहुत ज्यादा थी। 2019 में दुष्यंत हरियाणा सरकार में उपमुख्यमंत्री बने तो 2020 मैं किसान आंदोलन में अपना रुख साफ नही कर पाए। कृषि के बिलो के समर्थन में दिखाई दिए। जहाँ बरोदा उपचुनाव में दुष्यंत ने भाजपा का समर्थन किया तो भाजपा चुनाव हार गई। अब निकाय चुनाव में गठबंधन में चुनाव लड़ा तो जेजेपी ओर दुष्यंत अपनी साख नही बचा पाए।।
#दीपेंद्र : दीपेंद्र की राजनीति भूपेन्द्र हूड्डा के इर्दगिर्द ही रही हैं। दीपेंद्र सिर्फ 5 साल विपक्ष में सांसद रहे तब भी उन्होंने कोई हरियाणा के लिए कोई मुद्दा नही उठाया । जबकि युवाओं में खासे लोकप्रिय नेता रहे है 2020 में राज्यसभा पहुँचने वाले सांसद बने। फिर भी दुष्यंत की लोकप्रियता को नही तोड़ पाए।।
बरोदा उपचुनाव से दीपेंद्र को संजीवनी बूटी मिली जहाँ भाजपा-जजपा गठबंधन को करारी हार मिली तो दीपेंद्र लोकप्रियता दोबारा हासिल करने में कामयाब हुए। अब निकाय चुनाव में दीपेंद्र ने सोनीपत निगम चुनाव में कमान संभाली तो कांग्रेस के मेयर को जितवा ले गए और भाजपा को हाफ ओर जजपा को साफ करने में कामयाब रहे।। सोनीपत निगम चुनाव से दीपेन्द्र पूरे जोश से फ्रंटफुट पर है तो दुष्यंत बैकफुट पर चले गए है।।
100 का तोड़ ये हैं दीपेंद्र दुष्यंत पर हावी हो गए है।। दुष्यंत लोकप्रियता का कम होना उनके कार्यकर्ताओं के काम न करना है।
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