बुधवार, 20 जनवरी 2021

किसानों के आंदोलन के बारे में आधारहीन नकारात्मक ख़बरें क्यों प्रसारित कर रहा हैं मीडिया

 !किसानों का मीडिया से लगातार भरोसा टूट रहा है! और यह भरोसा टूटना भी लाजमी है! मीडिया को चाहिए कि वह जनहित के मुद्दे उठाए! वैसे देखा जाए तो मीडिया मौजूदा समय में सत्ता पक्ष की बजाए विपक्ष से सवाल करती है! और किसान भी सत्ता पक्ष  से ही लड़ रहे हैं! मीडिया उनका साथ देगी ऐसी उम्मीद करना बेवकूफी  देखा जाए तो प्राइवेट चैनल अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में 24 घंटे शुरू हुए थे तब से लेकर मनमोहन सिंह के शासनकाल तक चैनल हमेशा सत्ता पक्ष से सवाल करते थे! और जनहित के मुद्दे उठाते थे लेकिन 2014 के बाद भारतीय मीडिया विपक्ष से ही सवाल करने लग गए सरकार की कमियों को बड़ी खूबसूरती से दबा जाते हैं  2014 के बाद  ज्यादातर debate Hindu Muslim पाकिस्तान  से सम्बंधित होती जब भी देश में कोई समस्या होती है मीडिया  सत्ता पक्ष की बजाए विपक्षी ही सवाल करने लग जाते हैं!

अब बात  करते हैं कृषि बिल के बारे में सरकार बिल करोना काल में लेकर आई जब सब कुछ बंद था! वही करोना काल में ही संसद में पास हुआ! जबकि अब करोना के बहाने संसद सत्र रद्द कर दिया किसान आरोप लगा रहे हैं ये बिल उधोगपति को फायदा पहुचाने वाला हैं! ऐसे में मीडिया चैनल के मालिक ज्यादातर उधोगपति हैं या उनके सहायक हैं! ऐसे में मीडिया से यही उम्मीद थी न्युज 24 और एनडीटीवी, बीबीसी को छोड़कर बाकि  चैनल किसान विरोधी रुख अपना रहे हैं! इसमें Zee और अरब गोस्वामी के चैनल तो किसानों को आतंकवादी तक बता रहे हैं! प्रिट मीडिया में जागरण और भास्कर खुलेआम किसान विरोधी रिपोर्टिंग कर रहे हैं! भास्कर ने किसान नेता पर 10 करोड़ में सरकार गिराने के आरोप भी लगाए जो बाद में झुठे निकले लेकिन सरकार ने अखबार पर कोई कार्रवाई नहीं की फेसबुक भी अब इसमें शामिल हो गई है किसानों की पक्ष में बात करने वालो की id बंद की जा रही हैं!
 इसमें किसान नेता विकास सिहाग का कहना मीडिया द्वारा आंदोलन को कमजोर करने लिए जो गलत भ्रम फैलाया जा रहा बहुत ही निंदनीय हैं! इस पर मीडिया की विश्वसनीयता कमजोर हुई मीडिया देश का चौथा स्तम्भ हैं मीडिया को सही खबरे दिखाने चाहिए :                                                                                                                                                                                    मीडिया में काम कर चुके विनोद सैनी का कहना हैं मीडिया का सबसे निम्न स्तर जिदंगी में पहली बार देख रहा हुं
 
समाजसेवी और किसान बिजेंद्र बरसोंला का कहना हैं सरकार के आगें मीडिया रेग रही हैं सरकारे तो आती जाती रहती हैं मीडिया को चाहिए किसानों का साथ दे                                                                                                                                                                               

कृषि बिल
 ‌‌‌के खिलाफ किसान अजय मलिक का कहना हैं पहले मीडिया सता  पक्ष से सवाल करती थी! अब विपक्ष से मैन स्ट्रीम मीडिया द्वारा फेकऔर किसान के विरोधसमाचारजैसे कि किसानों के खिलाफ मैन स्ट्रीम मीडिया ने प्रोपैगडा चलाया हुआ हो  ! इससे मीडिया से मोह भंग हुआ ! वही जिस तरह अर्नब की चैट लिक हुई ये गंभीर मामला। हैं 

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