शनिवार, 21 नवंबर 2020

धान रोपाई के बारे में पुनः मंथन करे किसान

                  लेखक संदीप रिढाल
                                                                  हरियाणा प्रदेश में धान की खेती बड़े स्तर पर की जाती है I प्रदेश के चावल की उन्नत किस्म खासकर बासमती किस्म के चावल की न केवल देश बल्कि विदेशों तक भी बड़ी मांग है I लेकिन चावल के उत्पादन के साथ – साथ भविष्य के लिए जल संकट गहराता जा रहा है और वो दिन दूर नहीं जब हम अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए विकास के नाम पर पैसे के अलावा कुछ नहीं छोड़ेंगे और उस पैसे से वो स्वच्छ पानी की एक बूँद तक नहीं खरीद पाएंगे I यह सब प्रदेश में धान की रोपाई के कारण होने वाले पानी के लगातार अधिक दोहन से हो रहा है I आज प्रदेश के लगभग 36 खंड डार्क जोन में हैं I जहाँ जल संकट गहराया हुआ है I एक अनुमान के अनुसार 1 किलोग्राम चावल की पैदावार करने के लिए लगभग 5 हज़ार लीटर पानी की आवश्यकता होती है I पानी के इतने बड़े दोहन को देखते हुए पानी बचाने की सरकार की योजना “मेरा पानी मेरी विरासत” एक सराहनीय योजना है जिसको अच्छे से लागू करने के लिए किसानों को एक बार पुनः मंथन की आवश्यकता है और सरकार द्वारा दी जा रही अन्य फसलों के बौने पर 7000 रुपये की प्रोत्साहन राशि के साथ अन्य फसलों को अपनाने की आवश्यकता है I
@लेखक समाजशास्त्री एवं  शिक्षा शास्त्री हैं I
ये विचार लेखक के अपने हैं I

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