बुधवार, 2 सितंबर 2020

दुष्यन्त की राजनीति का विपक्ष के पास नहीं कोई तोड़*

*दुष्यन्त की राजनीति का विपक्ष के पास नहीं कोई तोड़*

विधानसभा के एक दिन के सेशन के बाद से ही हरियाणा की विपक्षी पार्टीयों को अपनी रणनीति की हार नज़र आने लगी हैं। कांग्रेस और इनेलो जैसे दल विधानसभा में सीमित समय में ही भाजपा जजपा सरकार को घेर कर ख़बर बनाने के चक्कर में थे लेकिन दुष्यन्त ने बहस के 3 मौकों पर न केवल कानून सम्मत जवाब ही दिये बल्कि विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हूडा की तो फीत ही उतार दी। बरोदा उपचुनाव की आहट के चलते कांग्रेस सदन में हंगामा करने की फिराक में थी लेकिन उस दिन सदन में सरकार के मुखिया की भूमिका में दुष्यन्त ने कांग्रेस को दामाद याद करवा कर खोखला साबित कर दिया।
दरअसल, जिन मुद्दों को कॉग्रेस और इनेलो दुष्यन्त के ख़िलाफ़ खड़ा करने की कोशिश करते हैं वही मुद्दे अंततः दुष्यन्त की रणनीतिक चाल के चलते उल्टा विपक्षियों पर ही भारी पड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए इनेलो के एकमात्र विधायक अभय चौटाला का राइट टू रिकॉल पर अधूरी जानकारी के साथ मीडिया में बयानबाजी करना उल्टा पड़ गया। अभय ने कहा कि राइट टू रिकॉल पहले से है। जिसपर पहली बार विधायक बने दुष्यन्त ने उन्हें याद करवा दिया कि 90 के दशक के मध्य में बंसी लाल ने इस प्रावधान को हटा दिया था और वह राइट टू रिकॉल सदस्यों को प्राप्त न कि वोटर्स को। अभय को जवाब देकर दुष्यन्त ने साबित कर दिया कि वो सदन में नए जरूर हैं लेकिन जानकारी में वो अपने चाचा पर सवाया हैं।
ऐसे ही भूपिंदर सिंह हुड्डा सदन में सीबीआई सीबीआई चिल्ला रहे थे और मक़सद दुष्यन्त की उत्तेजित करने का था लेकिन उसका नतीजा ये निकला कि भूपिंदर सिंह हुड्डा जाने अनजाने आग से खेल गए। दुष्यन्त ने सदन के रिकॉर्ड पर न केवल दामाद को रेजिस्टर करवा दिया बल्कि हुड्डा को चेतावनी देते हुए सीबीआई के बारे में याद करवा दिया।
हुड्डा मख्खन बहाने कपास निगल गए। इसी की झेंप मिटाने के लिए कलायत के पूर्व विधायक जेपी को आगे कर हुड्डा ने निचले स्तर की बयानबाजी भी करवाई लेकिन समय जेपी के पीछे जैसे लठ लेकर ही पड़ा है, जेपी ने भी अपने बयान में कई बार दामाद दामाद दोहरा दिया जिससे उसकी खीज का कारण भी सामने आ ही गया। जेपी अपने ही बयान में उलझ गए।  बहरहाल, कांग्रेस का सारा दारोमदार दुष्यन्त की राजनीति को कमजोर करने पर टिका है और इनेलो जितना दुष्यन्त को पीछे खिंचती है उतना ही खुद पीछे चली जाती है। 
वर्तमान विपक्ष को यह समझना होगा कि दुष्यन्त न केवल राजनीति में बल्कि रणनीति में भी उनसे इक्कीस है और जो भी मुद्दा दुष्यन्त के खिलाफ उठता है नज़र आता है वही दुष्यन्त को फायदा करवा कर जाता है।
बरोदा उपचुनाव में तुक्का लगाने के चक्कर मे इनेलो और कांग्रेस केवल दुष्यन्त पर टारगेट कर रही हैं और दुष्यन्त बड़ी आसानी से इनको जवाब भी दे रहे हैं ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार के रूप में विपक्ष को केवल दुष्यन्त से ही परेशानी है।

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