जींद (हरियाणा) से युवा किसान अजय मलिक का सुझाव है कि किसान जिंदगीभर महनत करके पूरे देश का पेट भरता है I फसल व जमीन के साथ उसका माँ-बेटे वाला रिश्ता होता है I जिस फसल को वह अपने खून – पसीने से सींचता है भला उसे सरकार की ज्यादतियों के चलते कैसे पल भर में ख़ाक कर सकता है I किसान को चाहिए कि वह सरकार के साथ लम्बी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहे और अपनी फसल के एक उचित भाग से इस लम्बी लड़ाई को आर्थिक ताकत प्रदान करे I क्योंकि बिना आर्थिक मजबूती के कोई भी लड़ाई नहीं जीती जा सकती है और यह तब और भी जरुरी हो जाता है जब पूंजीपतियों की बीजेपी सरकार के साथ किसान- मजदूर अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा हो I बीजेपी को जहाँ अम्बानी – अडाणी जैसे पूंजीपतियों का साथ हैं
अगर देखा जाए तो यह कोई तीन – चार महीने की लड़ाई नहीं है इसके लिए हमें सालों – साल तक लगाने पड सकते है I तो ऐसी प्रस्थित्यों के चलते किसान को अपना किसान- मजदूर कोष स्थापित करना होगा जिससे जरुरत पड़ने पर किसान – मजदूर की सहायता की जा सके I किसानों ने जहाँ कोरोना काल में सरकार को अपनी फसल का बहुत बड़ा भाग देकर सरकार की साख को बचाया था ठीक इसी प्रकार किसान इस फसल का कुछ भाग बचाकर अब इस किसान विरोधी सरकार के खात्मे के लिए भी प्रयोग कर सकता है I इस कोष का एक – एक दाना सरकार के ताबूत की कील साबित होगा I
इसलिए किसानों को अपनी फसल का कुछ भाग किसान -मजदूर कोष में रखना होगा जिससे समय पर सभी प्रकार के संसाधन जुटाए जा सकें I यह कदम निः संदेह किसान को मजबूत करने और सरकार को झुकाने का काम करेगा I
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