टिकरी बॉर्डर पर पहले भी एक किसान आत्महत्या कर चुका है.आज फिर एक और किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या करली.ये किसान जींद के सिंघवाल गांव से था.किसान ने सुसाइड नोट में लिखा है की सरकार किसानों को तारीख पर तारीख दे रही है लेकिन कानूनों को रद्द करने की बात नहीं कह रही है.
सरकार के किसानों के लिए बनाए कानूनों से किसान ही खुश नहीं हैं.वे कह रहें हैं कानून मांगे नहीं तो थोपे क्यों जा रहें हैं?इतने दिन से कड़ाके की ठंड में बुजुर्ग किसान और महिलाएं जब देश चैन से सो रहा था तब टिकरी बार्डर पर लंबे समय से आंदोलन में डटे गांव सिंघवाल जींद के 50 वर्षीय किसान कर्मबीर ने सरकार के अड़ियैल रवैये से निराश होकर पेड़ पर फांसी लगाई। लगातार किसानो
की मौत पर सरकार क्यो चुप हैं! में हैं.ठंड के चलते किसानों ने जान गंवाई.दुःखी हृदय और व्यथा के चलते कितने किसान हार्ट अटैक से हमारे बीच नहीं रहें?
कितने किसानों पर झूठे मुकदमे किये हैं?
कितने किसान आत्महत्या कर सुसाइड नोट में केंद्र को मौत का जिम्मेदार बता चुके हैं क्या चीख कर-मेज पीटकर सरकार से सवाल किए गए.
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